केला पनामा रोग Written on . Posted in Disease.
के बारे में: केला पनामा रोग, फ्यूज़ेरियम ऑक्सीस्पोरम f.sp. क्यूबेन्स के कारण होने वाली एक कवक रोग है, जो जड़ों और संवहनी तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे मुरझान होता है और संवेदनशील किस्मों में 100% तक नुकसान हो सकता है।
कहाँ होता है: यह तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र में प्रचलित है, जो गर्म मिट्टी (25-30 डिग्री सेल्सियस) में पनपता है।
पहचान:
- पुरानी पत्तियों के पीले होने और मुरझाने की तलाश करें, जो अंदर की ओर बढ़ता है।
- छद्म तनों में लाल-भूरे संवहनी रंग परिवर्तन की जाँच करें।
जैविक उपचार विधि:
- सांस्कृतिक प्रथाएँ: रोग-मुक्त चूसक का उपयोग करें, गैर-मेजबान फसलों के साथ चक्र अपनाएँ, और मिट्टी स्वास्थ्य सुधारें।
- प्रतिरोधी किस्में: ग्रैंड नैन जैसी प्रतिरोधी किस्में लगाएँ।
- जैविक नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा हार्ज़िएनम को मिट्टी में डालें।
अजैविक उपचार विधि:
- कवकनाशी: रासायनिक नियंत्रण सीमित; कार्बेन्डाज़िम का मिट्टी में छिड़काव करें, स्थानीय सुझावों के अनुसार।
- निगरानी: वनस्पति वृद्धि के दौरान पौधों में मुरझान की जाँच करें।