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सरसों क्लबरोट Written on . Posted in Disease.

सरसों क्लबरोट

के बारे में: सरसों क्लबरोट, प्लास्मोडियोफोरा ब्रैसिके के कारण होने वाली एक मिट्टी जनित प्रोटिस्ट रोग है, जो जड़ों को प्रभावित करती है, जिससे वृद्धि रुक जाती है और अम्लीय मिट्टी में 60% तक पैदावार कम हो सकती है।

कहाँ होता है: यह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में पाया जाता है, जो ठंडी, गीली मिट्टी (pH 5.5-6.5) में पनपता है।

पहचान:

  • फूली हुई, क्लब-आकार की जड़ों की तलाश करें, जो विकृत और उलझी हुई दिखाई दें।
  • दिन में मुरझाने वाले पौधों की जाँच करें जो रात में ठीक हो जाते हैं।

जैविक उपचार विधि:

  • सांस्कृतिक प्रथाएँ: चूने से मिट्टी का pH बढ़ाएँ, गैर-क्रूसिफेरस फसलों के साथ चक्र अपनाएँ, और जल निकासी सुधारें।
  • प्रतिरोधी किस्में: सीमित प्रतिरोध; पूसा स्वर्णिम जैसी सहनशील किस्में लगाएँ।
  • जैविक नियंत्रण: बैसिलस सबटिलिस का प्रयोग करें ताकि रोगज़नक़生存 कम हो।

अजैविक उपचार विधि:

  • कवकनाशी: PCNB (पेंटाक्लोरोनाइट्रोबेंज़ीन) का मिट्टी उपचार के रूप में प्रयोग करें, स्थानीय दिशानिर्देशों के अनुसार।
  • निगरानी: अम्लीय, गीली मिट्टी में वनस्पति वृद्धि के दौरान जड़ों की जाँच करें।