आलू ब्लैक स्कर्फ Written on . Posted in Disease.
के बारे में: आलू ब्लैक स्कर्फ, राइज़ोक्टोनिया सोलानी के कारण होने वाली एक रोग है, जो पूरे पौधे को प्रभावित करती है, जिसमें तने, जड़ें और कंद शामिल हैं, जिससे पैदावार और गुणवत्ता 30% तक कम हो सकती है।
कहाँ होता है: यह पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में प्रचलित है, जो ठंडी, नम मिट्टी (15-25 डिग्री सेल्सियस) में पनपता है।
पहचान:
- कंद सतहों पर काले, अनियमित स्क्लेरोटिया और तनों व स्टोलनों पर भूरे घावों की तलाश करें।
- रुके हुए पौधों और खराब कंद विकास की जाँच करें।
जैविक उपचार विधि:
- सांस्कृतिक प्रथाएँ: प्रमाणित बीजों का प्रयोग करें, अनाजों के साथ चक्र अपनाएँ, और ठंडी, गीली मिट्टी में बुआई से बचें।
- प्रतिरोधी किस्में: कुफरी हिमालिनी जैसी सहनशील किस्में लगाएँ।
- जैविक नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा वाइराइड को मिट्टी या बीज कंदों पर प्रयोग करें।
अजैविक उपचार विधि:
- कवकनाशी: टोल्क्लोफोस-मिथाइल या फ्लूटोलानिल का बीज उपचार के रूप में प्रयोग करें, स्थानीय दिशानिर्देशों के अनुसार।
- निगरानी: शुरुआती वृद्धि के दौरान बीज कंदों और पौधों में स्क्लेरोटिया की जाँच करें।